Thursday 28 August 2014

आज फिर
आज फिर
मन को छू गई
तुम्हारी याद
आंसू बन आँख से बह गई
तुम्हारी कही कोई बात
आज फिर
भूले बिसरे चित्रों ने मुझ को घेर लिया
संग बिताई घड़ियों ने
दर्द भरा कोई गीत छेड़ दिया
पर
डर लगता है मुझको
समय की इस निष्ठुर चाल से
वो धीरे धीरे निगलता जा रही  है
तुम्हारी हर इक याद
तुम्हारी कही हर इक बात
दोस्त
अचानक जैसे छोड़ गये थे तुम
बीच डगर में  
डर लगता है
अब छोड़ न जाए वैसे ही
याद  तुम्हारी भी
बीच डगर में.

©आई बी अरोड़ा 

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