गाय और वी वी आई पी
(कई वर्ष पुरानी बात है. शायद श्री आई के गुजराल प्रधान मंत्री थे.
साईं बाबा मंदिर लोधी रोड के निकट सड़क किनारे एक गाय बैठी थी. मैं मन्दिर के भीतर
था, पी ऍम उस रास्ते से जाने वाले थे. सुरक्षा का पूरा बंदोबस्त था. जीप में बैठे
एक पुलिस अफसर ने गाय को देखा. उसको बाद जो कुछ हुआ उससे प्रेरित हो कर यह रचना
लिखी थी.)
मोहल्ले में गहमा गहमी थी, और होती भी क्यों न? आखिर बात ही ऐसी थी.
वी वी आई पी आने वाले थे.
हमारे मोहल्ले में एक स्कूल मास्टर रहते हैं. अब तक बहुत कम लोगों को
उनके अस्तित्व का ज्ञान था. स्कूल मास्टर जैसे मामूली व्यक्ति का किसी दूसरे के
जीवन में क्या महत्व हो सकता है खासकर ऐसा मास्टर जो न किसी बच्चे को टयूशन पढ़ाता
हो और न ही किसी को एडमिशन में किसी प्रकार की कोई सहायता करता हो. जिस देश में
पैसा और सत्ता ही महानता के मापदंड हों वहां स्कूल मास्टर जैसा व्यक्ति किस गिनती
में आयेगा.
इन्हीं स्कूल मास्टर की बेटी का विवाह था. मास्टर जी ने वी वी आई पी
को न्योता दिया था जो वी वी आई पी ने स्वीकार कर लिया था. बस इसी कारण मोहल्ले में
गहमा गहमी थी.
वैसे स्कूल मास्टर का राजनीति से दूर दूर का संबंध भी न था. न
उन्होंने कभी किसी पार्टी को चंदा दिया था, न किसी राजनेता की चरण रज माथे पर लगाई
थी. शायद ही किसी चुनाव में उन्होंने अपना मत डाला हो. परन्तु फिर भी उनकी बेटी के
विवाह में वी वी आई पी आ रहे थे.
यह भाग्य की उठा पटक ही थी की स्कूल के दिनों का उनका अभिन्न मित्र वी
वी आई पी था. उन दिनों आज के वी वी आई पी आज के स्कूल मास्टर के पीछे पीछे घूमा
करते थे. ज़रा-ज़रा सी बात के लिए अपने मित्र पर निर्भर थे. परीक्षा के समय तो उन की
नैया मित्र के सहारे ही पार लगती थी.
आज वह वी वी आई पी हैं, पर वी वी आई पी बनने के बाद भी वह अपने बचपन
के मित्र को भूले नहीं हैं. अतः मित्र की बेटी के विवाह का निमन्त्रण तुरंत
स्वीकार कर लिया. वैसे वी वी आई पी यह जानते थे की इस विवाह में सम्मिलित होकर
अपनी छवि को जितना निखार पायेंगे उतना वह बीस सभाओं में भाग लेकर भी शायद न निखार पायें.
निमन्त्रण स्वीकार हुआ और रातों रात स्कूल मास्टर मोहल्ले के वी वी आई पी बन गये.
वी वी आई पी आते उससे पहले कई अधिकारी आये, पुलिस के अफसर आये,
सुरक्षा कर्मी आये. जो बत्तियां वर्षों से बंद थीं वह जलने लगीं, जिन नालियां की
वर्षों से सफ़ाई न हुई थी उनकी सफ़ाई हुई. विवाह के पूर्व और विवाह के पश्चात बहुत
कुछ हुआ पर जिस घटना का उल्लेख मैं करना चाहता हूँ वह विवाह मंडप से कुछ दूर घटी
थी.
वी वी आई पी के आने से पहले ही वधु के घर की ओर जाने वाले रास्ते पर सुरक्षा कर्मी तैनात हो गई थे. विवाह रात में
था पर सुरक्षा कर्मी दुपहर बाद ही तैनात हो गये थे. अपने में बेहद उकताये हुए यह
कर्मी हर आने जाने वाले पर एक नज़र रखे हुए थे. विवाह मंडप की ओर जाने वाली सड़क पर
वाहन खड़ा करने की मनाई थी. गुब्बारे वाले
और ऐसे अन्य लोग जो विवाह मंडपों के बाहर अपनी रोज़ी रोटी चलाते हैं, उन्हें तो मोहल्ले
के निकट भी फटकने न दिया गया.
वी वी आई पी के आने में अब अधिक समय न था. एक सुरक्षा कर्मी की नज़र एक
गाय पर पड़ी. गाय सड़क के किनारे निश्चिंत बैठी जुगाली कर रही थी. चारों ओर तैनात
पुलिस और पुलिस के बंदोबस्त से वह पूरी तरह बेखबर थी. सुरक्षा कर्मी कुछ तय न कर
पाया कि उसे क्या करना चाहिये. बेमन से उसने गाय को आवाज़ दी. गाय ने कोई
प्रतिक्रिया व्यक्त न की. असमंजस में डूबा वह गाय के निकट आया और धीरे धीरे
“हिशहिश” बोल, गाय को उठाने का प्रयत्न करने लगा.
किसी ध्यान मग्न योगी की तरह गाय ने अपना ध्यान भंग न होने दिया, वह टस
से मस न हुई. सुरक्षा कर्मी इधर-उधर देखता रहा. उसे कुछ समझ न आया कि उसे क्या
करना चाहिये. झुंझला कर वह अपनी निश्चित जगह पर आकर खड़ा हो गया. वह धीमे-धीमे कुछ
बुदबुदा रहा था और गाय को ऐसे देख रहा था जैसे वह गाय न होकर एक ऐसा मुजरिम हो जो
उसकी आँखों के सामने ही अपराध कर रहा हो.
सारे प्रबंध का निरीक्षण करने के लिए एक अधिकारी अपनी जीप में चला आ
रहा था. उसका आना इस बात का सूचक था कि वी वी आई पी बस आ ही रहे हैं. अधिकारी अपने
आप में पूरी तरह संतुष्ट था, आज तक उसके प्रबंध में छोटी सी भी कोताही न हुई थी.
अचानक अधिकारी की नज़र गाय पर पड़ी. वह चौंका जैसे कोई भूत देख लिया हो, “हटाओ उसे,
जल्दी हटाओ उसे.” भोंपू पर वह ज़ोर से चिल्लाया.
आस पास खड़े सुरक्षा कर्मिओं की प्रतिक्रिया वैसी ही थी जैसी उस आदमी
की होती है जो अनायास बिजली का नंगा तार छू लेता है. पाँच-सात सुरक्षा कर्मी गाय
के पीछे ऐसे दौड़े जैसे शिकारी कुत्ते अपने शिकार की ओर दौड़ते हैं. कुछ कर्मी
ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहे थे, कुछ अपनी-अपनी सीटी बजा रहे थे.
इस अप्रत्याशित आक्रमण से घबरा कर गाय एक झटके से उठी और सड़क के बीचों-बीच
आ गई. पल भर को गाय निर्णय न कर पाई कि उसे किस ओर भागना चाहिये. तभी जीप में बैठे
अधिकारी और अन्य सुरक्षा कर्मियों पर जैसे एक गाज सी गिरी. गाय उस ओर ही भागने लगी
जिस ओर से वी वी आई पी आने वाले थे.
वी वी आई पी किसी भी क्षण आ सकते थे और गाय थी कि उसी ओर भागी जा रही
थी. गाय के पीछे चार-पाँच सिपाही भाग रहे थे. जीप में बैठे अधिकारी को कुछ न सूझा
तो उसने भी अपनी जीप उनके पीछे भगा दी. गाय को अपने पद और अधिकार का अहसास दिलाने
के लिए उसने जीप का सायरन भी बजाना शुरू कर दिया. भोंपू पर उसका चिल्लाना बंद न
हुआ था.
लगभग सुनसान सड़क पर भागती एक गाय, गाय के पीछे भागते चार-पाँच सिपाही,
उनके पीछे दौड़ती और सायरन बजाती जीप, जीप में बैठे अधिकारी का भोंपू पर चिल्लाना, यह सब एक अद्भुत
दृश्य था.
तभी वी वी आई पी की गाड़ी आती दिखाई दी. वी वी आई पी बैठे तो एक ही
गाड़ी में थे पर उस गाड़ी की चारों ओर सात-आठ गाड़ियाँ और थीं. इस काफ़िले और गाय का
कभी भी आमना सामना हो सकता था. पर सौभाग्य से एैन वक़्त पर गाय सड़क छोड़ एक संकरी सी
गली में चली गई.
वी वी आई पी काफिले की गाड़ियों की
सड़क पर भागते सिपाहियों और उनके पीछे आती जीप से टक्कर होते-होते बची. सड़क
पर तैनात अन्य सिपाही और अधिकारी सांस रोके खड़े थे, सब किसी को अनहोनी की
प्रतीक्षा थी. पर कोई अनहोनी न हुई, सौभाग्य से. वी वी आई पी का काफ़िला बिना रुके(और
बिना अपनी गति घटाये) आगे बढ़ गया.
सब कर्मी एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे किसी दुः स्वप्नॅ से जागे
हों. पर जीप में बैठे अधिकारी की हालत खराब थी. वह सब को गालियां दे रहा था.
अगले दिन समाचार पत्रों में छपा कि वी वी आई पी सुरक्षा नियमों का
उलंग्न करने के अपराध में कुछ अधिकारियों को निलम्भित कर दिया गया है, और गाय के
मालिक का पता न लगने के कारण गाय को हिरासत में ले लिया गया है. सुरक्षा नियमों की समीक्षा करने के लिए एक उच्च
स्तरीय कमेटी भी बना दी गई है. वी वी आई पी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए
सरकार कटिबद्ध है.
© आई बी अरोड़ा
Bahut Khub Arora jee :)
ReplyDeletethanks Alok for reading it
Deleteएक निवेदन और -
ReplyDeleteकृपया अपने ब्लॉग पर follow option जोड़ लें इससे आपके पाठक भी बढ़ेंगे और उन्हें आपकी नयी पोस्ट तक आने मे सुविधा रहेगी।
अधिक जानकारी के लिए कृपया निम्न वीडियो देखें-
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सादर
thanks for pointing the omission
Deletethanks for the suggestion
ReplyDeleteBahut sunder prastuti ... Accha lga padh ke !!
ReplyDeleteBahut sunder prastuti ... Accha lga padh ke !!
ReplyDeletethanks for reading and liking it
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